...

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मोहब्बत हो गई है
ख़ुदा की हम पर ख़ास रहमत हो गई है,
हमें उनसे उन्हें हमसे मोहब्बत हो गई है।

मोहब्बत की इनायत जो हुई हम पर,
लगता है जैसे कि क़यामत हो गई है।

मुल्तफ़ित हो जाएंगे हम भी सोचा न था,
दीवानों सी अपनी भी हालत हो गई है।

है ये दीवानगी कि है इश्क़ का बुखार,
ये किस तरह की हमें हरारत हो गई है।

हर हसरत हर मसर्रत है उनके ही दम से,
चाहत उनकी शरीक-ए-इबादत हो गई है।

ता-उम्र उनके पहलू में बितानी है ज़िंदगानी,
शिकवा नहीं अब शुक्र की आदत हो गई है।

मुल्तफ़ित - आकर्षित
मसर्रत - खुशी