...

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zarurat
तो मुझे अब किसिकी जरूरत है
ठक चुकी हूं खुद को संभलते हुए
अब मुझे बस इतनी ही हसरत है
हा ,मुझे किसिकी जरूरत है .
ऐसा नहीं है कि उसके बिना जी नहीं सकती ,
पर अब और इंतजार उसका कर नहीं सकती ,
जल्दी से आजाय जिंदगी में बस इतनी ही चाहत है ,
हा मुझे किसिकी जरूरत है .
आए वो मेरे दर्द का मरहम बनकर,
मेरे होठों की मुस्कान बनकर ,
मेरी नज़रे झुकाने की वजह बनकर ,
मेरी सांसो को मदम करके ,
और लिख जाए हम दोनों की रिवायत!
हा मुझे किसिकी जरूरत .

© safaredard