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पापा कह दो ना...
पापा कह दो ना...
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एक बार अपना दर्द कह दो न पापा,
हो सकता है आपके जख्मों पर मरहम लगा पाऊं मैं ।
जानती हूँ आपके घाव बहुत गहरे हैं,
पर हो सकता है इसी बहाने बेटी भी इन्हें भर सकती है-यह एहसास जता पाऊं मैं ।
बहुत कुछ दिया है आपने मुझे,
शायद आपकी सेवा करके ही खुद कोकिसी लायक बना पाऊं मैं ।
मैं जानती हूँ कि आप मुझे बहुत प्यार करते हैं,
कोशिश हमेशा यही रहेगी कि आपके दु:ख के हर भाव को आपके अंदर से घटा पाऊं मैं ।
पूरी उमर लगा दी आपने अपनी सिर्फ़ मुझे बनाने में,
मेरी ही हार होगी न पापा गर आपके सपनों को न सजा पाऊं मैं
एक बार उन झुके हुए कंधों को देखने दो न पापा - जिन पर बैठकर मैं पढ़नें जाती थी, शायद आपकी मेहनत का कुछ अंदाजा ही लगा पाऊं मैं ।
आप तो अपने अंदर सबकुछ बहुत ही आसानी से समेट लेते हो,
जिंदगी में शायद ही खुद को आपके जितना सहनशील बना पाऊं मैं ।
आप तो मेरे कहने से पहले ही मेरे मन की बात जान जाते हैं पापा,
काश कभी आपके भी मन की थाह लगा पाऊं मैं ।
मेरे लिए हमेशा नंगे पाँव ही दौड़ पड़ते हो आप,
शायद ही कभी आपके उन छालों के दाग मिटा पाऊं मैं ।
हां मानती हूं कि आपकी परी बनकर रही हूं इतने दिन,
हो सकता है कि आपकी चोट पे कोई जादू दिखा पाऊं मैं।।

आकांछा मगन पान्डेय "सरस्वती


© आकांक्षा मगन "सरस्वती"