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आकुलता
गुल का मतलब फूल है,फूल बीज की मात।
होता गर नंबर पास में ,तो हम कर लेते बात।।
ये तू ने क्या कर दिया,बिना जान पहचान।
महिला से नंबर मांगना,उचित नहीं नादान।।
धर्म संकट में डालना,नही मीत का कर्म।
कैसी उनकी विवशता, थोड़ी तो रख शर्म।।
उचित अनुचित का कभी,उठता नही सवाल।
पूर्व जनम की प्रीत है, हम अब पूछेंगे हाल।।
विकट व्यवस्था विश्व की,औरत नही आजाद।
नंबर देकरके तुम्हे,कहीं वे हो न जाए नाशाद।
रहे जहां जिस देश में,हो उनका उत्तम हाल।
दुख हो देने से यदि, तो जाना भूल सवाल।।
प्यार रहे परिवार में, नन्हे बालक खुशहाल।
धन दौलत यशकीर्ति मितवा मालामाल।।
(नाशाद=अप्रसन्न,दुखी या परेशान)