आज क्यू तपिश
आज क्यू तपिश मे आने लगा गगन ।
नील , गौर , व्योमिल सा हो गया बदन ।
सूरतो में जिसकी लालिमा सी भर गई
अंधेरी नगरियो में , रौशनी सी आ गई ।
तुम मिले तो सांसों में भी सांस आ गई ।
जैसे खाली खेत मे बहार आ गई ।
चाहतो की आड मै छिपा है मेरा मन ।
नील ,गौर,,,।।
चंदा के रथ पे ...
नील , गौर , व्योमिल सा हो गया बदन ।
सूरतो में जिसकी लालिमा सी भर गई
अंधेरी नगरियो में , रौशनी सी आ गई ।
तुम मिले तो सांसों में भी सांस आ गई ।
जैसे खाली खेत मे बहार आ गई ।
चाहतो की आड मै छिपा है मेरा मन ।
नील ,गौर,,,।।
चंदा के रथ पे ...