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पिंजडे में बैठी चिडियां
पिंजडे मे बैठी शांत चिडियां
ये कह गयी ,
देखा जो बाहर दिल समेट
के रह गयी।
आसमान हमारी खुशियां थी,
फंख हमारी जिंदगी।
छीन के हमसे हमारी खुशियां,
ऐ मुर्ख इंशान तुम्हे क्या
मिल गई।
इतने ही प्यारे लगते है हम अगर,
तो हमारे लिए तो कुछ दाना,
पानी रख दिया करो।
हम खुद आयेंगे तुम्हारे घर,
पर हमे कैद न किया करो।
© Svitri ❤️
ये कह गयी ,
देखा जो बाहर दिल समेट
के रह गयी।
आसमान हमारी खुशियां थी,
फंख हमारी जिंदगी।
छीन के हमसे हमारी खुशियां,
ऐ मुर्ख इंशान तुम्हे क्या
मिल गई।
इतने ही प्यारे लगते है हम अगर,
तो हमारे लिए तो कुछ दाना,
पानी रख दिया करो।
हम खुद आयेंगे तुम्हारे घर,
पर हमे कैद न किया करो।
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