मुस्कुराहट के आँसू
कोई ख़्वाब दे दे आँखों में इतनी सी बस फरियाद है,
मन ज़रा लगा रहे ज़िन्दगी की क्या मियाद है।
बे-हयात गुज़ारी है फ़क़त इंतेहा की घड़ी हमने,
शिक़ायत सी है...
मन ज़रा लगा रहे ज़िन्दगी की क्या मियाद है।
बे-हयात गुज़ारी है फ़क़त इंतेहा की घड़ी हमने,
शिक़ायत सी है...