...

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मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;।

नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,।
हर कहानी मेरी अधूरी है।

लंबे सफर की दूरी है।
ना जुनु अभी ना दास्ता अभी पूरी है।

© navneet chaubey