शीर्षक - मैं✨
इस सफर ने सिखाया, मुझे इतना कुछ हैं।
यकीन होता नहीं, क्या ये भी सच है।
कलम और किताब हाथ में लिए मैं,
उकेर देती हुँ, मन के विचार कागज पर।
जब पढ़ती हूँ उन्हें तो, खुशी होती है,
मैं लिखती रहूगी यूँ ही उम्र भर ।
मुझे पसंद हैं, वो छोटी- छोटी बातें ,
जिनसे मुझे खुशी मिलती है,
हर एक पल मेरे मन मे, एक कविता विचरति है ।
मैं जैसी भी हूँ मेरी मातारानी मेरे साथ रहती हैं,
एक अच्छे- सच्चे दोस्त की तरह मेरे पास रहती हैं ।
जितना भी मैं दुनिया को समझ रही हूँ,
उतना ही मैं, नई उलझनों में उलझ रही हुँ।
कुछ अनसुलझे सवाल, इतना उलझा देते है जिंदगी को ।
अब खुद को समझ रही हूँ जबसे,
लगता है, मैं सुलझ रही हूँ ।
मुसीबत में साथ भी वही छोड़ कर जाते हैं,
जिनके लिए हम दुनिया से लड़ जाते हैं।
पर जरूरी है जिंदगी में कुछ बहुत बुरा होना भी
ठोकर खाते- खाते हम एक दिन संभल ही जाते हैं ।
बहुत मुश्किल होता है खुद को प्यार करना,
क्युंकि जब हम खुद के लिए जीते हैं,
तो दुनिया के लिए बुरे बन जाते हैं।
जो लोग हमारी तरह सच्चे नहीं बन पाते न,
वही लोग हमारी सोच पर उँगली उठाते हैं ।
कभी किसी के बुरे व्यवहार की वजह से खुद के सपनों को मत खोना।
अपनी इज़्ज़त करना हमेशा, खुद के लिए भी थोड़ा जीना ।
दुनिया है यह, इसका काम है कहना, ये कहती रहेगी।
हमारी जिंदगी हमारे हिसाब से चलेगी, किसी रुकावट से नहीं रुकेगी ।
रिया दुबे
©
यकीन होता नहीं, क्या ये भी सच है।
कलम और किताब हाथ में लिए मैं,
उकेर देती हुँ, मन के विचार कागज पर।
जब पढ़ती हूँ उन्हें तो, खुशी होती है,
मैं लिखती रहूगी यूँ ही उम्र भर ।
मुझे पसंद हैं, वो छोटी- छोटी बातें ,
जिनसे मुझे खुशी मिलती है,
हर एक पल मेरे मन मे, एक कविता विचरति है ।
मैं जैसी भी हूँ मेरी मातारानी मेरे साथ रहती हैं,
एक अच्छे- सच्चे दोस्त की तरह मेरे पास रहती हैं ।
जितना भी मैं दुनिया को समझ रही हूँ,
उतना ही मैं, नई उलझनों में उलझ रही हुँ।
कुछ अनसुलझे सवाल, इतना उलझा देते है जिंदगी को ।
अब खुद को समझ रही हूँ जबसे,
लगता है, मैं सुलझ रही हूँ ।
मुसीबत में साथ भी वही छोड़ कर जाते हैं,
जिनके लिए हम दुनिया से लड़ जाते हैं।
पर जरूरी है जिंदगी में कुछ बहुत बुरा होना भी
ठोकर खाते- खाते हम एक दिन संभल ही जाते हैं ।
बहुत मुश्किल होता है खुद को प्यार करना,
क्युंकि जब हम खुद के लिए जीते हैं,
तो दुनिया के लिए बुरे बन जाते हैं।
जो लोग हमारी तरह सच्चे नहीं बन पाते न,
वही लोग हमारी सोच पर उँगली उठाते हैं ।
कभी किसी के बुरे व्यवहार की वजह से खुद के सपनों को मत खोना।
अपनी इज़्ज़त करना हमेशा, खुद के लिए भी थोड़ा जीना ।
दुनिया है यह, इसका काम है कहना, ये कहती रहेगी।
हमारी जिंदगी हमारे हिसाब से चलेगी, किसी रुकावट से नहीं रुकेगी ।
रिया दुबे
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