...

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इश्क़ की हकीकत बतायी न गयी
इश्क़ की हकीकत बतायी न गयी
हमसे वफ़ा की क़ीमत चुकाई न गयी

बहुत भटके हर दिन यहाँ से वहाँ
बस बे इमानि की दौलत उठाई न गई

हम ठहरे फ़क़ीर कर भी क्या जाते
हमसे ऊँची दीवारों की कोठी बनायी न गयी

वीराने मे रहे बरसो एक डर से
हमसे रौशनी ज़िन्दगी मे लायी न गयी

लोग पूछते रहे सारिम राज़ ऐ रंज हर शब्
दर्द ए दिल की दास्ताँ हमसे सुनाई न गयी

© Sarim