...

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mujhe dahez chahiye
मुझे दहेज़ चाहिए
तुम लाना तीन चार ब्रीफ़केस
जिसमें भरे हो तुम्हारे बचपन के खिलौने
बचपन के कपड़े बचपने की यादें
मुझे तुम्हें जानना है बहुत प्रारंभ से

तुम लाना श्रृंगार के डिब्बे में बंद कर अपनी स्वर्ण जैसी आभा
अपनी चांदी जैसी मुस्कुराहट अपनी हीरे जैसी दृढ़ता

तुम लाना अपने साथ छोटे बड़े कई डिब्बे
जिसमें बंद हो तुम्हारी नादानियाँ
तुम्हारी खामियां तुम्हारा चुलबुलापन
तुम्हारा बेबाकपन तुम्हारा अल्हड़पन

तुम लाना एक बहुत बड़ा बक्सा
जिसमें भरी हो तुम्हारी खुशियां
साथ ही उसके समकक्ष वो पुराना बक्सा
जिसमें तुमने छुपा रखा है अपना दुःख अपने ख़्वाब अपना डर
अपने सारे राज़ अब से सब के सब मेरे होगे..

मत भूलना लाना वो सारे बंद लिफ़ाफे
जिसमें बंद है स्मृतियां
जिसे दिया है तुम्हारे मां और बाबू जी ने
भाई-बहनों ने सखा-सहेलियों ने
कुछ रिश्तेदारों ने...

न लाना टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन
लेकिन लाना तुम किस्से कहानियां
और कहावतें अपने शहर के...

कार,मोटरकार हम ख़ुद खरीदेंगे
तुम लाना अपने तितली वाले पंख
जिसे लगा उड़ जाएंगे अपने सपनों के आसमान में
❤️🌏❤️
© "शायर शुभ श्रीवास्तव"