...

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#जाने दो..!
#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
जो चला गया उसे जाने दो ।
क्यों वक़्त - बेवक़्त आंसू बहाना,
क्यों दर्द के दरिया में गोते लगाना।
वो था ही नहीं तुम्हारा,
बस वो था एक छलावा।
यूँ दिल को क्यों दुखाना,
बात बात पर क्यों पछताना।
जो चला गया उसे जाने दो,
माना था वो बेहद प्यारा।मगर….
उसे नहीं था मोह तुम्हारा,
तोड़ कर सारे बंधन चला गया।
जो था नहीं कभी तुम्हारा,
उसके लिए आंसू कभी न बहाना।