103 views
हँसते ज़ख़्म.........
बेवफ़ाई के किस्से तुम्हें सुनाऊँ क्या,
कैसै उजड़ती है दुनिया बताऊँ क्या,
दर्द भी बन जाते हैं ज़रिया-ए-सुकून,
और हँसते ज़ख़्म तुम्हें दिखाऊँ क्या,
रूह में जो शामिल रहते धड़कनें बन,
उन साँसों से रिश्ता तोड़ जाऊँ क्या,
क्योंकर नज़रें तुम्हारी बेवफ़ा हो गई,
तेरी आँखों का सच मैं दिखाऊँ क्या,
जैसे..तुम मसरूफ़ हो किसी और में,
मैंभी भूल तुम्हें खुदमें ग़ुम जाऊँ क्या!
कैसै उजड़ती है दुनिया बताऊँ क्या,
दर्द भी बन जाते हैं ज़रिया-ए-सुकून,
और हँसते ज़ख़्म तुम्हें दिखाऊँ क्या,
रूह में जो शामिल रहते धड़कनें बन,
उन साँसों से रिश्ता तोड़ जाऊँ क्या,
क्योंकर नज़रें तुम्हारी बेवफ़ा हो गई,
तेरी आँखों का सच मैं दिखाऊँ क्या,
जैसे..तुम मसरूफ़ हो किसी और में,
मैंभी भूल तुम्हें खुदमें ग़ुम जाऊँ क्या!
Related Stories
186 Likes
81
Comments
186 Likes
81
Comments