...

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मेरी पेहचान


"में एक बेटी"
करती अठखेलियां बाबुल का थामे हाथ
चेहकती जैसे कोई चिरैया करती पुकार।
कब हो गयी बड़ी समझ न पाई छूटा बाबुल का आँगन द्वार।
"में एक पत्नी"
देती हर मुश्किल में अपने पिया का साथ।चलती रहती कर्तव्य पथ पर लेके अपनों को साथ।...