...

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रिस्ता।
जिससे प्यार करते हो,
उसे दबाया नही करते।
खुद से ऊपर न समझो,
मगर गिराया नही करते।

नाज़ुक डाल को जब तुम,
मोड़ोगे जोर लगा कर के।
या तो उझलेगी,या टूट जायेगी।
ऐसे जोर आजमाया नही करते।

हर बात मानती है वो तेरी,
हर दर्द बांटती है वो तेरा।
तू कदर नही करता है ज़रा,
यूँ रिस्ता निभाया नही करते।

दर्जा दो उसे बराबरी का,
उसे दे दो जो उसका हक़ है।
उसे नए पंख दो और उड़ने दो,
यूँ किसी को डराया नही करते।

सुन के दिल पसीजा उस का,
चलो कुछ तो असर हुआ।
उसे गले लगा कर कहा ,
"यूँ रुठ जाया नही करते।"