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मुंशी प्रेम चंद
भारत के साहित्य की दुनिया में जो नाम है प्रचण्ड।
वो कोई और नहीं.... है मुंशी प्रेम चंद।।
आज ही के दिन जन्मे बनारस में, नाम धनपत राय श्रीवास्तव था।
कहानियों और रचनायों में झलकता समाज का वास्तव था।।
अपनी रचनाओं में उन्होंने दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि कुरीतियों का व्याख्यान किया।
सामाजिक ऐवं देश की प्रगति का सदा उन्होंने सम्मान दिया।।
सात साल की उम्र में मां गुजर गई, सौलह में गुज़रे बाप।
बहुत संघर्षपूर्ण जीवन से गुज़रे थे आप।।
सिक्षक बने, आंदोलनकर्ता बने और बने चलचित्र के लेखक।
हर क्षेत्र में परचम लहराया, उम्दा साहित्यकार थे आप बेशक।।
नवाब राय के नाम से उर्दू में लेखन से की थी शुरुआत।
नाम बदल फिर प्रेम चंद के नाम से हो गए आप विख्यात।।
प्रेम चंद जी का जीवन हर साहित्यकार के लिए है प्रेरणादायक।
मिल जाता है मकाम एक दिन उसको जो होता जिसके लायक।।
इसलिए आज उनको हम तहे दिल से श्रद्धांजलि है देते।
उनकी रचनाओं की सिक्षा को हम मन में समा लेते।।
© Vasudha Uttam
वो कोई और नहीं.... है मुंशी प्रेम चंद।।
आज ही के दिन जन्मे बनारस में, नाम धनपत राय श्रीवास्तव था।
कहानियों और रचनायों में झलकता समाज का वास्तव था।।
अपनी रचनाओं में उन्होंने दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि कुरीतियों का व्याख्यान किया।
सामाजिक ऐवं देश की प्रगति का सदा उन्होंने सम्मान दिया।।
सात साल की उम्र में मां गुजर गई, सौलह में गुज़रे बाप।
बहुत संघर्षपूर्ण जीवन से गुज़रे थे आप।।
सिक्षक बने, आंदोलनकर्ता बने और बने चलचित्र के लेखक।
हर क्षेत्र में परचम लहराया, उम्दा साहित्यकार थे आप बेशक।।
नवाब राय के नाम से उर्दू में लेखन से की थी शुरुआत।
नाम बदल फिर प्रेम चंद के नाम से हो गए आप विख्यात।।
प्रेम चंद जी का जीवन हर साहित्यकार के लिए है प्रेरणादायक।
मिल जाता है मकाम एक दिन उसको जो होता जिसके लायक।।
इसलिए आज उनको हम तहे दिल से श्रद्धांजलि है देते।
उनकी रचनाओं की सिक्षा को हम मन में समा लेते।।
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