स्त्री होके जाना
स्त्री होके जाना ,
अपने वज़ूद को बख़ूबी पहचाना ।
वात्सल्य से भरे मन को भी..
मुश्किल होता है अपनी आबरू बचाना ।।
हैवानियत भरे इस दुनिया में..
नहीं है कोई नारी का कोई ठिकाना ।
हर तरफ दरिंदगी है हर तरफ है
पुरूषों का ताना बाना ।।
स्त्री होके जाना ,
अबला है आज भी नारी ,
नहीं है उसका कोई आशियाना ।। S.S.
Sarita Saini
© Lafz_e_sarita
अपने वज़ूद को बख़ूबी पहचाना ।
वात्सल्य से भरे मन को भी..
मुश्किल होता है अपनी आबरू बचाना ।।
हैवानियत भरे इस दुनिया में..
नहीं है कोई नारी का कोई ठिकाना ।
हर तरफ दरिंदगी है हर तरफ है
पुरूषों का ताना बाना ।।
स्त्री होके जाना ,
अबला है आज भी नारी ,
नहीं है उसका कोई आशियाना ।। S.S.
Sarita Saini
© Lafz_e_sarita