...

8 views

वो सांवली सी.....
रंग रुप कौन देखता है प्यार मे
जैसे रात दिन कौन देखता है बरसात मे
दिल बस आगया तो आ गया
मूड बन गया तो बन गया
कौन जाने दिल की बागडोर किसके हाथ है पासवाले उम्मीदें लगाए रहते है
पथिक कोई मोती चुन ले जाता है
अचानक से ही दिखी थी वो
वही सांवली सी लडकी
जिस उम्र मे थी वो
वो उम्र थी अल्हड़पन की... पर
बेहद संजिदा थी वो
दो चार रोज मिलते रहने पर
एकदिन मेरे दिल ने मुझसे कहा
ये सावली सी लडकी मुझे पसंद है
मैने कहा ऐसे कैसे..??
तुम पडो ऐसे कैसे के चक्कर मे
मै तो उसका हो चुका
मै तो सोच मे पड गया
और दिल की ही बातो मे ढल गया
रोज की तरह वो जब आई
मैने गहरी...