***छूना है आसमान ***
वो कहते थे कि ख़्वाब मेरे , फ़लक़ से बड़े लगते हैं,
ज़रा सँभलकर चलना, ख़्वाब ही इंसान को ठगते हैं,
एक क़फ़स में कैद पँछी , कितना भी जोर लगा ले,
जिन पँखो पर नाज़ होता है ,वो पँख ही उलझते हैं,
बात जब ज़िद की...
ज़रा सँभलकर चलना, ख़्वाब ही इंसान को ठगते हैं,
एक क़फ़स में कैद पँछी , कितना भी जोर लगा ले,
जिन पँखो पर नाज़ होता है ,वो पँख ही उलझते हैं,
बात जब ज़िद की...