...

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***छूना है आसमान ***
वो कहते थे कि ख़्वाब मेरे , फ़लक़ से बड़े लगते हैं,
ज़रा सँभलकर चलना, ख़्वाब ही इंसान को ठगते हैं,

एक क़फ़स में कैद पँछी , कितना भी जोर लगा ले,
जिन पँखो पर नाज़ होता है ,वो पँख ही उलझते हैं,

बात जब ज़िद की आती है ,तो चाहे पँख टूट जाये,
ख़्वाब जुनून बनकर , बिना पँखो के भी उड़ते हैं,

मुझे छूना है आसमान ,अब ये तय कर ही लिया है,
देख लेंगें कौन से हैं तूफ़ान,जो राहों में मेरी अड़ते हैं,

हाथ मे लकीरें बनाई होंगी ,मुक़द्दर बनाने वाले ने,
जो भरोसा मेहनत पर करते हैं, तक़दीर वही गढ़ते हैं।।

-पूनम आत्रेय