अम्मी
घर के किसी कोने में हों "अम्मी,"
पर उनकी आंखें घूमती रहती हैं,
घऱी की सुईं की तरह ,हर समय
रखती है हिसाब हर पल का,
धरती के नीचे फैले,
विशाल वृक्ष की जऱों की तरह
सोखना चाहती है दर्द ,
घर के हर प्राणी के अंतस का।
सींचना चाहती है अपने प्यार से...
पर उनकी आंखें घूमती रहती हैं,
घऱी की सुईं की तरह ,हर समय
रखती है हिसाब हर पल का,
धरती के नीचे फैले,
विशाल वृक्ष की जऱों की तरह
सोखना चाहती है दर्द ,
घर के हर प्राणी के अंतस का।
सींचना चाहती है अपने प्यार से...