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काश!!
काश! कोई गुलाबों की नाज़ुक पंखुड़ियों
को मेरे क़दमों में बिछा देता।
कोई मेरे गुज़रने वाले रास्तों पर खूबसूरत
गुलमोहर के पेड़ लगा देता।
काश! कोई रात की रानी से मेरी स्याह
रातों को थोड़ा महका देता।
और कोई चुपके से कमरे में रखे हुए मेज़
पर रजनीगंधा सजा देता।
काश! कोई सफेद पीले गुलदावदी के
फूलों का हार पहना देता।
और कोई मदहोश कर देने वाले मोगरे
के फूलों से गजरे बना देता।
काश! कोई इस ज़िन्दगी में पलाश के
फूलों सा रंग भर देता।
मैं आफ़ताब हो जाती और वो सूरजमुखी
सा चेहरा मेरी ओर कर देता।
by Santoshi
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