...

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प्रस्ताव
प्रेम भाव को भी ना समझ सकूँ
प्रेम निवेदन को ठुकरा दू
इतनी मुझमे असंवेदना कहा

घटाए, बादल, हवाएं
ले आती हर बार तेरा प्रेम निवेदन
इन सब को मना कर दू
इतनी मुझमे अक्कल कहा

वो, प्यार के सिलसिले, शाम,
याद, अहसास
झुठला दू सब इन बातो को
इतनी मुझमे बेरुखी कहा

प्रेम पक्तियां, कल्पना, भावो की सरिता
सब कुछ भुल जाऊ
इतनी मुझमे हिम्मत कहा