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शहरीदृशकाव्य
#शहरीदृश्यकाव्य

आधुनिकता में मदहोश नगरी
इनमें तो
कोई मालिक तो
कोई करता है नौकरी
किसी की जरुरी
तो किसी की मजबूरी
शहरी चकाचौंध चौंध में
फंसे कुछ लोग
कोई सुखभोग ले रहा है
तो कोई विविध रोग
से पीड़ित झुंझ रहा है
आधुनिक जीवनशैली में
बंधा हुआ भौतिक जगत
वैज्ञानिक खोज करते करते
अपनी अपनी जरूरत
के अनुसार
कोई सदुपयोग कर रहा
तो दुरुपयोग कर रहा है
शहरी जीवन
किसी के लिए वरदान
तो किसी के लिए शाप
आधुनिकीकरण से
बदलते शहर
नगर में रहते रहते
चले जा रहे
प्रकृति से बहुत दूर दूर दूर.....


© आत्मेश्वर