कसौटी
रख के शर्तें किया प्यार ,
तो क्या ख़ाक प्यार किया,
ज़ख़्म पर हो मरहम सा ,
जले जो प्यार का दिया ॥
नादान हैं वो जो हक़ मानते हैं,
पाने का एहसास नहीं,
खुद को भूल इश्क़ जो करें ,
वो ये हक़ीक़त जानते हैं..
दो दिलों का मिलना ,
इक पाक इबादत...
तो क्या ख़ाक प्यार किया,
ज़ख़्म पर हो मरहम सा ,
जले जो प्यार का दिया ॥
नादान हैं वो जो हक़ मानते हैं,
पाने का एहसास नहीं,
खुद को भूल इश्क़ जो करें ,
वो ये हक़ीक़त जानते हैं..
दो दिलों का मिलना ,
इक पाक इबादत...