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अपनापन
रिश्तों के मायने कितनी जल्दी बदल जाते हैं
हमें जान कर भी अपने नहीं समझ पाते हैं
जिम्मेदारी का एहसास तुम्हें हैं तो हमें भी हैं
लेकिन हम अपने जज़्बात नहीं बया कर पाते हैं।
जो कहते हैं की बेहद प्यार करते हैं तुम्हें
सही कहें तो वही हमें नहीं जान पाते हैं।
हर वक़्त बातें कहे कर ही समझानी पड़े.
फिर कहाँ रिश्ते अपनों के एहसासों से जुड़ते हैं।
© Niharik@ ki kalam se✍️
हमें जान कर भी अपने नहीं समझ पाते हैं
जिम्मेदारी का एहसास तुम्हें हैं तो हमें भी हैं
लेकिन हम अपने जज़्बात नहीं बया कर पाते हैं।
जो कहते हैं की बेहद प्यार करते हैं तुम्हें
सही कहें तो वही हमें नहीं जान पाते हैं।
हर वक़्त बातें कहे कर ही समझानी पड़े.
फिर कहाँ रिश्ते अपनों के एहसासों से जुड़ते हैं।
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