शिखर जी
जैनों की है जान शिखर जी
क्यूँ इसको आघात पहुँचाते हो
बच ना सकोगे इस पाप से
क्यूँ अपनी सीट गवाते हो
धर्म ही है इस देश की नींव
क्यूँ धर्म की नींव हिलाते हो
धर्म से ही मज़बूत है ये देश
क्यूँ धर्म स्थलों को मिटाते हो
सद् बुद्धि कहाँ गई तुम्हारी
क्यूँ अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारते हो
है नेचर...
क्यूँ इसको आघात पहुँचाते हो
बच ना सकोगे इस पाप से
क्यूँ अपनी सीट गवाते हो
धर्म ही है इस देश की नींव
क्यूँ धर्म की नींव हिलाते हो
धर्म से ही मज़बूत है ये देश
क्यूँ धर्म स्थलों को मिटाते हो
सद् बुद्धि कहाँ गई तुम्हारी
क्यूँ अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारते हो
है नेचर...