...

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शिखर जी
जैनों की है जान शिखर जी
क्यूँ इसको आघात पहुँचाते हो

बच ना सकोगे इस पाप से
क्यूँ अपनी सीट गवाते हो

धर्म ही है इस देश की नींव
क्यूँ धर्म की नींव हिलाते हो

धर्म से ही मज़बूत है ये देश
क्यूँ धर्म स्थलों को मिटाते हो

सद् बुद्धि कहाँ गई तुम्हारी
क्यूँ अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारते हो

है नेचर की देन शिखर जी
क्यू पर्यटन बना कर नेचर गवाते हो

धर्म की धरती पर रहकर ही
क्यूँ धर्म बेचकर पैसा कमाते हो

देश ना चला कभी धर्म के पैसों से
क्यूँ धर्म की महिमा ना पहचानते हो

धर्म का पैसा देश पर लगाकर
क्यू भारत को पाप में डुबाते हो

किसी सरकार ने धर्म पर ना वार किया
क्यूँ तुम जैन धर्म पर कुठागार करते हो

इस सरकार को हमने दिल से चाहा
क्यूँ ये प्रस्ताव लाकर विश्वास गवाते हो

वोट ना पाओगे तुम जैनों से
क्यूँ अपने वोट गवाते हो

लेखिका: नूतन जैन 🙏