...

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शादी
बेटी है वो किसी की
और बहु किसी और की,
लाडली वो अपने आंगन की
अब लक्ष्मी है किसी के प्रांगण की।
याद आती जब आंगन की
होती जब आंखे नम
पी जाती वो घूंट खुशी का
याद करके वो पुराने पल।
पूछ लो कोई हाल उसका
वह तो कह देती "मैं ठीक हूं",
कोई कैसे समझे उसके हाल को
कहती वो कुछ नहीं
और समझे कोई उसके मौन को
कोई इतना भी महान नही।
अपना बना लेती परायों को
पुराने अपनो को छोड़ कर,
उठा लेती नखरे सबके
कष्ट अपने वो भूल कर।
छोड़ कर हाथ अपनो का
आगे वह बढ़ती है
अरे कोई उससे भी तो पूछ लो उसकी क्या मर्जी है...

© sharma