शादी
बेटी है वो किसी की
और बहु किसी और की,
लाडली वो अपने आंगन की
अब लक्ष्मी है किसी के प्रांगण की।
याद आती जब आंगन की
होती जब आंखे नम
पी जाती वो घूंट खुशी का
याद करके वो पुराने पल।
पूछ लो कोई हाल...
और बहु किसी और की,
लाडली वो अपने आंगन की
अब लक्ष्मी है किसी के प्रांगण की।
याद आती जब आंगन की
होती जब आंखे नम
पी जाती वो घूंट खुशी का
याद करके वो पुराने पल।
पूछ लो कोई हाल...