गज़ल- सब्र के प्याले।
सब्र के प्याले उनके, भर क्यूं नहीं जाते।
दीवानें जो तेरे ज़िंदा हैं, मर क्यूं नहीं जाते।
सड़क पे सोने वाले, ये सोचते हैं अक्सर
जिनके अपने घर हैं, वो घर क्यूं नहीं जाते।
तुम्हारी...
दीवानें जो तेरे ज़िंदा हैं, मर क्यूं नहीं जाते।
सड़क पे सोने वाले, ये सोचते हैं अक्सर
जिनके अपने घर हैं, वो घर क्यूं नहीं जाते।
तुम्हारी...