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सौ बार हार कर भी, ना हार मान पाऊं
सौ बार हार कर भी, ना हार मान पाऊं
बदले में चाहे सारी, सांसें मिटा कर जाऊं

बांधे हैं जो भी ताले, किस्मत ने जंजीरों से
तोड़ने हैं उन सबको, अंदर छिपे हौसलों से

पिंजरे में नहीं, सारा जीवन बिता पाऊं

आईने में देख खुद को, कुछ तो कह पाऊं
सौ बार हार कर भी, ना हार मान पाऊं

जोर थोड़ा लगा लूं और, जोर थोड़ा लगा लूं और
जोर तो लगा लूं मैं, जोर थोड़ा लगा लूं और

माना शब्दों में...