...

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..... O मेरे सनम ....
O मेरे सनम ! इतना भी भाव मत खाइए,
मेरी बाहें है खुली हुई बाहों में चले आइए.

मौका है, दस्तूर है, तुम मैं और है तन्हाई,
दौड़ कर आइए, मेरे सीने से, लग जाइए.

जवां दिल है, दूर में रहने में क्या है मज़ा,
आओ मेरे क़रीब प्यार जमकर बरसाइए.

दिल अपना ही है, किसी गैर का तो नही,
नादां दिल है ज़रा प्यार से इसे समझाइए.

लबों को, लबों पे रख दो, तो करार आए,
हम सैय्या है तुम्हारे, हमसे तो न शर्माइये.

हमारे इश्क़ को, किसी की, नज़र ना लगे,
खिड़की दरवाज़े बंद करो, बत्ती बुझाइए.

© एहसास ए मानसी