विदाई...🙁🥺🥹
कन्यादान जब हुआ पूरा,आया समय विदाई का...
हंसी खुशी सब काम हुआ,रस्में अदाई का ।
बेटी के उस भयभीत स्वर ने,बाबुल को झकझोर दिया
पूछ रही थी बेटी,पापा क्या अपने मुझे सचमुच छोड़ दिया?
अपने घर की फुलवारी, मुझको सदा कहा तुमने...
मेरे रोने को पलभर ,भी ना सहा तुमने...!
क्या इस आंगन के कोने में अब मेरा कोई स्थान नहीं?
पापा मेरे रोने का क्या,आपको बिल्कुल भी ध्यान नहीं?
देखो ना अंतिम बार देहली,लोग मुझे पूजवाते है।
आकर के क्यों ना पापा आप इन्हे धमकाते है?
इन्हे ना रोकते...
हंसी खुशी सब काम हुआ,रस्में अदाई का ।
बेटी के उस भयभीत स्वर ने,बाबुल को झकझोर दिया
पूछ रही थी बेटी,पापा क्या अपने मुझे सचमुच छोड़ दिया?
अपने घर की फुलवारी, मुझको सदा कहा तुमने...
मेरे रोने को पलभर ,भी ना सहा तुमने...!
क्या इस आंगन के कोने में अब मेरा कोई स्थान नहीं?
पापा मेरे रोने का क्या,आपको बिल्कुल भी ध्यान नहीं?
देखो ना अंतिम बार देहली,लोग मुझे पूजवाते है।
आकर के क्यों ना पापा आप इन्हे धमकाते है?
इन्हे ना रोकते...