विदाई...🙁🥺🥹
कन्यादान जब हुआ पूरा,आया समय विदाई का...
हंसी खुशी सब काम हुआ,रस्में अदाई का ।
बेटी के उस भयभीत स्वर ने,बाबुल को झकझोर दिया
पूछ रही थी बेटी,पापा क्या अपने मुझे सचमुच छोड़ दिया?
अपने घर की फुलवारी, मुझको सदा कहा तुमने...
मेरे रोने को पलभर ,भी ना सहा तुमने...!
क्या इस आंगन के कोने में अब मेरा कोई स्थान नहीं?
पापा मेरे रोने का क्या,आपको बिल्कुल भी ध्यान नहीं?
देखो ना अंतिम बार देहली,लोग मुझे पूजवाते है।
आकर के क्यों ना पापा आप इन्हे धमकाते है?
इन्हे ना रोकते चाचा, ताऊ,और भईया से भी कोई आस नहीं।
ऐसी भी क्या क्रूरता ? आता कोई पास नहीं।।
बेटी की बातों को सुन,पिता रह ना सका खड़ा।
बह गई आंखों से अश्रुओं की धारा,और भावुकता में दौड़ पड़ा।।
कातर चिरैया सी वह बेटी,पिता से गले लग खूब रोती है।
जैसे यादों के चल चित्र वह,अश्रुओं की धारा से धोती है।।
मां को लगा जैसे गोद से कोई,मानो सब कुछ छीन कर चला।
फूल सभी घर की फुलवारी,से चुन कर ले चला।।
छोटा भाई भी कोने,में बैठा बैठा सुबक रहा।
उसको कौन करेगा चुप अब,वह कोने में दुबक रहा।।
बेटी के जाने पर घर ने, ना जाने क्या क्या खोया है।
कभी न रोने वाला बाप, आज फूट फूट कर रोया है।।
विधाता ही जाने एक बाप,मां और एक भाई ने क्या खोया है।
जिस दिन हुई बेटी की विदाई,सुकून की निद्रा एक परिवार मानो तब से ना सोया है।।
© ~WriterRj~✓
हंसी खुशी सब काम हुआ,रस्में अदाई का ।
बेटी के उस भयभीत स्वर ने,बाबुल को झकझोर दिया
पूछ रही थी बेटी,पापा क्या अपने मुझे सचमुच छोड़ दिया?
अपने घर की फुलवारी, मुझको सदा कहा तुमने...
मेरे रोने को पलभर ,भी ना सहा तुमने...!
क्या इस आंगन के कोने में अब मेरा कोई स्थान नहीं?
पापा मेरे रोने का क्या,आपको बिल्कुल भी ध्यान नहीं?
देखो ना अंतिम बार देहली,लोग मुझे पूजवाते है।
आकर के क्यों ना पापा आप इन्हे धमकाते है?
इन्हे ना रोकते चाचा, ताऊ,और भईया से भी कोई आस नहीं।
ऐसी भी क्या क्रूरता ? आता कोई पास नहीं।।
बेटी की बातों को सुन,पिता रह ना सका खड़ा।
बह गई आंखों से अश्रुओं की धारा,और भावुकता में दौड़ पड़ा।।
कातर चिरैया सी वह बेटी,पिता से गले लग खूब रोती है।
जैसे यादों के चल चित्र वह,अश्रुओं की धारा से धोती है।।
मां को लगा जैसे गोद से कोई,मानो सब कुछ छीन कर चला।
फूल सभी घर की फुलवारी,से चुन कर ले चला।।
छोटा भाई भी कोने,में बैठा बैठा सुबक रहा।
उसको कौन करेगा चुप अब,वह कोने में दुबक रहा।।
बेटी के जाने पर घर ने, ना जाने क्या क्या खोया है।
कभी न रोने वाला बाप, आज फूट फूट कर रोया है।।
विधाता ही जाने एक बाप,मां और एक भाई ने क्या खोया है।
जिस दिन हुई बेटी की विदाई,सुकून की निद्रा एक परिवार मानो तब से ना सोया है।।
© ~WriterRj~✓