...

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गाँव का दृश्य
देखा तो नही मैंने कभी भी अपना गाँव "
पर वहाँ के बारे में सुना बहुत है,
कहते है आज भी गाँव के "
चप्पे-चप्पे पर प्रकृति बहुत है,,,,,॥

सुना है मैंने अपने गाँव के बारे में "
की वहाँ हरियाली बहुत है,
पेड़ की डाल पर बैठी कोयल "
गुनगुनाती बहुत है,,,॥

देखा तो नही मैंने कभी भी अपना गाँव "
पर वहाँ के बारे में सुना बहुत है,
कहते है की आज भी वहाँ "
की हवा में ताजगी बहुत अलग है,,,,,॥

सुना है मैंने अपने गाँव के बारे में "
की वहाँ बगिया में बहारे बहुत है,
कहते है आज भी गाँव में "
आम के पेड़ पर लटकी आमी बहुत है,,,,॥

देखा तो नही मैंने कभी भी अपना गाँव "
पर वहाँ के बारे में सुना बहुत है,
कहते है गाँव में आज भी "
मिट्टी के लिपे आंगन बहुत है,,,,,,॥

सुना है मैंने अपने गाँव के बारे में "
की वहाँ पर पशु प्रेमी बहुत है,
कहते है आज भी गाँव के हर आंगन में  "
पशु- पक्षियों की चहल कदमी बहुत है,,,,,,॥

देखा तो नही मैंने कभी भी अपना गाँव "
पर वहाँ के बारे में सुना बहुत है,
कहते है गाँव में आज भी "
आपस में भाईचारा बहुत है,,,,,॥

सुना है मैंने अपने गाँव के बारे में "
की वहाँ परिवारों में एकता बहुत है,
कहते है गाँव में आज भी सब "
साथ बैठकर घर के आंगन में खिलखिलाते बहुत है,,,,॥

© Himanshu Singh