...

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शहीद....
आज फिर से कोई शहीद हो गया,
तिरंगे को गले लगा चुपचाप सो गया।

वो मुस्कुराता हुआ गया था और जल्द लौट कर आऊंगा उसने ये ही कहा था।
मां हर रोज़ तकती थी राह क्योंकि अगली दिवाली साथ मनाऊंगा ये भी कहा था।

पिता ने आंसुओं को रोक गर्व महसूस किया कि गोली सीने पर लगी थी।
दुश्मनों से पीठ पर कभी गोली नहीं खाऊंगा
एक शाम उसने ये भी कहा था।

उसकी बेवा की तो सुहाग की आल्ता और मेहंदी भी फीकी नहीं पड़ी थी।
अगली बार हरे रंग की चूड़ियां लाऊंगा जाते जाते कानों में उसने यही कहा था।

दोस्तों को सीमा की सुरक्षा और बर्फीली पहाड़ियों के किस्से सुनाता था।
एक दिन तुम्हें भी पहाड़ों पर ले जाऊंगा
कंधे पर हाथ रख यही कहा था।

बहन की शादी थी अगले महीने, भाई को बहुत आगे तक पढ़ाना था।
अपनी नई नई जीवन संगिनी के साथ एक सुंदर सा सपना सजाना था।

पर अब सब खत्म हो गया वो सपने, हंसी सबकुछ, क्योंकि वो शहीद हो गया।
देश की रक्षा सर्वोपरि है उसके ख़ून के हर कतरे ने बहते हुए बस यही कहा था।

आज हम सब अपने आंसुओं को रोक कर उसे आखिरी सलामी दे रहे हैं ।
मेरे शहीद होने पर तुमलोग आंसू मत बहाना मुस्कुरा कर उसने ये भी तो कहा था।

by Santoshi