...

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शहीद....
आज फिर से कोई शहीद हो गया,
तिरंगे को गले लगा चुपचाप सो गया।

वो मुस्कुराता हुआ गया था और जल्द लौट कर आऊंगा उसने ये ही कहा था।
मां हर रोज़ तकती थी राह क्योंकि अगली दिवाली साथ मनाऊंगा ये भी कहा था।

पिता ने आंसुओं को रोक गर्व महसूस किया कि गोली सीने पर लगी थी।
दुश्मनों से पीठ पर कभी गोली नहीं खाऊंगा
एक शाम उसने ये भी कहा था।

उसकी बेवा की तो सुहाग की आल्ता और मेहंदी भी फीकी नहीं पड़ी थी।
अगली बार...