ढलती उम्र से
उम्र की दहलीज से, ढल रहे दिन को जिंदगी निहार रही थी ऐसे...
दिन की तपिश को समेटे, इक सकून की शाम को, रूह पुकार रही...
दिन की तपिश को समेटे, इक सकून की शाम को, रूह पुकार रही...