...

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भटक रहे सभी मरहम की खोज में 🙃
जिंदगी की उलझनों में
कई अनसुलझे सवाल रह गये
तलाश जब भी करी हल ढूंढने की
हाथ खाली रहा और आँखों में मलाल रह गये

कौन जाने किस पथ पर
मंजिल मिलेगी किसको यहाँ
भटक रहे सभी मरहम की खोज में
पर जख्म फिर भी लाल रह गये

झूठ क्या बोलूँ
मेघों ने बरसातें तो बहुत करी
फिर कोई आँधी उड़ा ले गयी बादल को
और पास में केवल अकाल रह गए

( मेरी नहीं हर पथिक की
लगभग यही कहानी है
लबों पर हँसी तो है सबके
पर भीतर एक अभाव है
और आँखों में पानी है)


© सौ₹भmathu₹