बेटी एक दिन पिता को रुला जाती है।
सो के सीने पे हर दिन, सुला जाती है बेटी एक दिन पिता को, रुला जाती है।।
बेटी फूल है, कली है, क्यारी है बेटी आंगन की तितली सी प्यारी है खिलखिलाहट से सब को, खिला जाती है गुल पिता के चमन में खिला जाती है। सो के सीने पे हर दिन, सुला जाती है ये बेटी एक दिन पिता को, रुला जाती है।।
लेके खुशियां गगन से ये आती है बन के रिमझिम धरा को रिझाती है गोद धरती का भरना...
बेटी फूल है, कली है, क्यारी है बेटी आंगन की तितली सी प्यारी है खिलखिलाहट से सब को, खिला जाती है गुल पिता के चमन में खिला जाती है। सो के सीने पे हर दिन, सुला जाती है ये बेटी एक दिन पिता को, रुला जाती है।।
लेके खुशियां गगन से ये आती है बन के रिमझिम धरा को रिझाती है गोद धरती का भरना...