...

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अबकी आना तो...
सुनो, अबकी आना तो,
बैठना मेरे संग नदी किनारे पर,
मैं तुमसे गहराइयों पर बाते करना चाहती हूं,
मैं नापना चाहती हूं तुम्हारे और
अपने मन की बातों को,
और सुनना चाहती हूं तुम्हारे आसमां के बारें में,
मैं उम्मीद रखना चाहती हूँ "कल" की,
ये जानते हुए की "कल" की उम्मीद
नहीं की जा सकती,
हां मैं जानती हूँ कि दुनिया की
कड़वाहट तुमने देखी है,...