ना तुम कुछ बोले, ना मैंने कुछ कहा
ना तुम कुछ बोले,
ना मैं कुछ बोली।
वर्ष बीत गए,
पर मुख ना खोली ।
तुम्हारे होठ मौन रहें,
पर आँखे कुछ कह गई ।
तुम्हारे मुस्कुराने का तरीका,
और शरमाने का अंदाज -
मेरे मन को मोह गई ।
उस वक़्त एक भूल कर बैठी,
मोह को मोहब्बत समझ बैठी,
दिल्लगी को प्रेम समझ कर,
भ्रम के माया जाल में फँसकर -
तुमसे...
ना मैं कुछ बोली।
वर्ष बीत गए,
पर मुख ना खोली ।
तुम्हारे होठ मौन रहें,
पर आँखे कुछ कह गई ।
तुम्हारे मुस्कुराने का तरीका,
और शरमाने का अंदाज -
मेरे मन को मोह गई ।
उस वक़्त एक भूल कर बैठी,
मोह को मोहब्बत समझ बैठी,
दिल्लगी को प्रेम समझ कर,
भ्रम के माया जाल में फँसकर -
तुमसे...