...

5 views

पुराना मकान
पुराना मकान

इस शहर में बहुत कम रह गये हैं पुराने मकान
बस दीख जाते हैं कहीं-कहीं
जैसे रखे हुए हों किसी संग्रहालय में
पुराने मकान अक्सर रोक लेते हैं राह चलते
पहले पूछते हैं कुशल-क्षेम
और तब कई-कई सवाल
कुछ तो ऐसे भी
जो अमूमन नहीं पूछे जाते किसी से
उस दिन जब मैं लौट रहा था घर
भीतर से रिक्त और हताश
रास्ते के उस पुराने मकान ने टोका-
क्या हुआ आज दीख रहे हो बहुत उदास
सब ठीक तो है
कैसी हैं अब दादी
क्या बिछावन से उठ पाती हैं अब
तुम्हारी नौकरी का क्या हुआ
और रोपाया कि नहीं छोटकी का दिन
कि हो नहीं पाया रुपयों का जुगाड़ ?
सुना है आजकल कुछ कविता-कहानी भी लिखते हो
शब्द क्या कर पाते हैं कुछ कम
आदमी का गम
एक दबी-कुचली दूब की आह
एक कटे दरख्त का दुख..
मैं अवाक् और हतप्रभ देखता रहा
झुर्रियों से भरा लेकिन तन कर खड़ा
पाँच कोठरियों वाला वह मकान
धीरे-धीरे हो रहा था खंडहर...