...

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बस भूल गए काले साए को
आजाद खुली हवा में जी रहे
थे बेफिक्र अभी अभी तो
पास रहना सीखा था

भूल गए थे काले साए को
अभी अभी तो रंग देखा था

ख्वाब सा जो लगता
जो बस दूर से दिखता
नराजो का बसा सपना
अभी अभी तो रूबरू
हुआ था

जितना सोचा उसे कोमल
आंखे गहरी बिल्कुल सपनो
जैसा लगता था
अभी अभी तो पास बैठा था

बस भूल गए थे साए काले को
जंजीरों के पहरेदार को

बहुत कुछ कहना और करना
बाकी था उसे रूबरू...