मंजिल २.०
गलती वक्त की है या किस्मत की
शायद कमी रह गई मेहनत की,
सपनों की ऊंचाई ज्यादा जरूर है
पर बात नहीं कोई हैरत की,
हाशिल करनी है मंजिल थकना तो पड़ेगा
अपना टाईम लाऊंगा, मंजिल को झुकना पड़ेगा I
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शायद कमी रह गई मेहनत की,
सपनों की ऊंचाई ज्यादा जरूर है
पर बात नहीं कोई हैरत की,
हाशिल करनी है मंजिल थकना तो पड़ेगा
अपना टाईम लाऊंगा, मंजिल को झुकना पड़ेगा I
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