मंजिल २.०
गलती वक्त की है या किस्मत की
शायद कमी रह गई मेहनत की,
सपनों की ऊंचाई ज्यादा...
शायद कमी रह गई मेहनत की,
सपनों की ऊंचाई ज्यादा...