...

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जीवन अभी शेष है.....
गति धीमी है, पर चलायमान तो है
विश्वास जीर्ण है, पर उम्मीद तो है
क्रन्दन किया, किसी ने महसूस किया??
चीखे-चिल्लाये, किसी को सुनाई दिया ??
ना सुना ये शोर मन का
ना अब और हताशा
ना सम्भल सके फिर भी चल
रोशन करे जो आग उसमें जल
तोड़ कर सीमितता के बाँधों को
नई परिभाषा से ख़ुद को गढ़
क्यूंकि
जीवन अभी शेष है और बहुत विशेष है......
जीवन अभी शेष है और बहुत विशेष है......


© vineetapundhir