...

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तुम, मैं और ये तन्हाई
बेचैन_सी रूह को, थोड़ा, सुकून पाने दो,
सामने बैठी रहो, दिल को, करार आने दो.

उफ इश्क, फुर्सत, तुम, मैं और ये तन्हाई,
अब बहकता है ये दिल तो बहक जाने दो.

एक मुद्दत से, गुस्ताखी दिल ने की नही है,
इजाज़त हो अगर तो जरा तुम्हे सताने दो.

लबों पे रख दे, सुलगते लबों के, ये अंगारे,
दिल में लगी इश्क ए जलन जरा बुझाने दो.

एक है हम दोनो तो दो क्यू नजर आए हम,
आओ क़रीब सीने से तुम्हे जरा लगाने दो.

© एहसास ए मानसी