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मुंशी प्रेमचंद (एक शिल्पकार)
एक कथाकार ही नहीं थे
एक अच्छे शिल्पकार थे वो
अपनी रचनाओ में सच्चाई की मिट्टी मिलाते,
दुख-सुख का लेप लगा कुछ ऐसा दिखाते
जो कड़वा सच था समाज का
जो आंतरिक रूप था दराज का
कुछ ऐसे ढंग के कलाकार थे वो
आसान नहीं होता, सबके बीच रहकर
अपने वजूद को मरने ना देना
सब डूबे पड़े हो, पर खुद को अलग करके
सबके जैसा बनने ना देना
एक पैनी नजर के धनी
एक उम्दा अदाकार थे वो
विरोध उस वक्त व्यक्त किया
जब कोई आवाज नहीं उठाता था
जो लिखता लीक से हटकर
उसके कोई साथ नहीं आता था
अपने में सँजोये हुए एक पूरा संसार थे वो
एक कथाकार ही नहीं थे
एक अच्छे शिल्पकार थे वो
© वियोगी (the writer)
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