हम कुम्हार अपने मिट्टी के
हम कुम्हार अपने माटी के
बड़े शौक से जीवन गढ़ते हैं
उतार चढ़ाओ कितना भी हो
किसी भी डगर पर चलते हैं.
हम लक्ष्य ख़ुद बनाकर उसको
भेदना भी जानते हैं
मेहनत से घबराते नहीं
नसीब बदलना जानते हैं.
जीवन रूपी इस खेल में हम भी
बहुमूल्य रूप निभाते हैं
सबसे अलग हटकर कुछ हम भी
नया दाव आजमाते हैं .
लिखा हुआ है...
बड़े शौक से जीवन गढ़ते हैं
उतार चढ़ाओ कितना भी हो
किसी भी डगर पर चलते हैं.
हम लक्ष्य ख़ुद बनाकर उसको
भेदना भी जानते हैं
मेहनत से घबराते नहीं
नसीब बदलना जानते हैं.
जीवन रूपी इस खेल में हम भी
बहुमूल्य रूप निभाते हैं
सबसे अलग हटकर कुछ हम भी
नया दाव आजमाते हैं .
लिखा हुआ है...