...

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माँ कुमारी
चली परिक्षण करने, देखो, महर्षि दुर्वासा वरदान |
दिया था जिसे मुनि ने रख , बाला भविष्य का ध्यान||

ज्योहीं स्तुति कर लिया सूर्य का नाम|
तत्क्षण गोद भर आया नन्हा, रश्मिरथी समान||

सफल परिक्षण देख, चकित हुई मखमल-सी इकबाली|
कहाँ छुपाऊँ जीवन के इस अमुक अभिव्यक्ति की प्याली||
लौटालो वरदानी नंदन, हे महर्षि! हे अंशुमाली||

बाधित हूँ और विवश भी, कहे प्रभु...