...

11 views

कल्पनाओं से परे एक शहज़ादी चाहता हूँ।
मैंने कब कहा मैं आबादी चाहता हूँ।
मैं सारे जहां की बर्बादी चाहता हूँ।
रख ले समेट दुनिया जहां का दर्द।
सीना ऐसा फौलादी चाहता हूँ।
मैंने कब कहा मैं आबादी चाहता हूँ।
भूल जाऊं मैं भी इश्क़दारी सारी।
कल्पनाओं से परे एक शहज़ादी चाहता हूँ।
मैंने कब कहा मैं आबादी चाहता हूँ।
हर गम पर रहे चेहरे पर हसीं।
ख़ुद को तेरी बाहों का आदी चाहता हूँ।
हुस्न वालों को खुदा पहले उठाये।
धोका देने वालों की पहले बर्बादी चाहता हूं।
मैंने कब कहा मैं आबादी चाहता हूँ।
मैं तो सारे जहाँ की बर्बादी चाहता हूँ।
© Chiragg