...

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आखिरी बात मैं आखिरी लम्हा लिख ​​रहा हूं..
मैं मंजर ऐ मौत में वफा लिख ​​रहा हूं,
आखिरी वक्त मैं आखिरी लम्हा लिख ​​रहा हूं,
धड़कता दिल और रूकती सासो का साथ
खुद की हकीकत को खुद से रुबरू कर रहा हूँ।
जिंदगी पता नहीं किस हिसाब से गुजरी मेरी
अपनी दुनिया में एक बिंदु से पहचान मेरी.....
अच्छाई से ज्यादा खुद मैं कमिया दिख रही है..
शायद भूलना आसान मुझे मेरी जिंदगी के बाद
किस ग़लत फ़हमी मैं जन्नत लिख रहा हूँ...
© @mantsha