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#रहने दिया
#रहने-दिया

जो छूटा जहां उसको वहीं रहने दिया,
सोचा नहीं था जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद न मिलने दिया,
चलते रहे जो, साथ हमने इसे लिया ।

'चलती का नाम गाडी' हमने था सूना,
कदम दर कदम ले जाये हमें मंजिल;
'रूकना ही तो मौत है' हमने था सूना,
चलते चले जो मंझिल तक -साथ चले ।

गंदगी और किट रूके हूए पानी के हैं मैल ,
यहाँ 'रूकना ही मौत का कातिल है खेल' ।
गिरना-सँभलना फिर दौडना ही तो है जिदंगी,
उठक-बैठक भी करवाती है..सत्य की बंदगी ।

थककर चूर होना मंजूर मगर रूकना ?
मौत का तमाशा ! मजबूरी ना बताना !
हांफकर दम तोडना मंजूर मगर होड बकना ?
पागलपन नहीं नीडरता है -सबको बताना !

पल पल घटती जा रही यह प्रिय जिंदगी
खुशियां भले ही मनाते रहे मूढ से हम !
जूझना ताकत लगाकर भले हो दिल्लगी !
सफलता मिले-मत भरो यह दम हरदम !

जीवन के कई फलसफे बदले हमने
कदम दर कदम ठोंकरें खाकर !
तकदीर- नसीब से हार ना मानी हमने
नाकामी की लाख कोशिशें कर !

'आशा अमर है सदा' सूना था हमने
अजीब झूठ ही माना था इसे हमने !
ना उम्मीद हूए जब जब हम भी
खूद को तराशा नये सिरे से हमने !

खौफनाक मौजों पर सवार है यह मखमली जिंदगी
कभी रवानी की खुशी,कभी खौफ से भरी हैजिंदगी ।
जानकर भी मौत का सौदा बरकरार ही रहने दिया ।
इस लहर से उस लहर तक जिंदगी को उलझने दिया।


© Bharat Tadvi