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कही दूर
कभी कभी कही दूर चले जाने का मन करता है, जहां कोई ना जानता हो ना पहचानता हो, जहाँ किसी की आँखों में कोई सवाल ना हो, जहाँ खुद को साबित करने की दौड़ ना हो, जहाँ हर रोज़ खुद से सवाल ना करने पड़े, जहाँ जवाबो को ना तलाशना पड़े, कभी कभी ऐसी जगह जाने का दिल करता है जहाँ सिर्फ सकून हो, एक ऐसी जगह जहाँ ख़ामोशी हो, जहाँ हवा को महसूस किया जा सके, ऐसी जगह जहाँ पानी की लेहरो की आवाज़ को सुना जा सके,
कोई ऐसी जगह जहाँ चेहरे पर बनावटी नहीं असली मुस्कुरहाट आये, ऐसी जगह जहाँ खुद को तलाशना ना पड़े, जहाँ किसी की वजह से मेरी आँखों में पानी ना आये, जहाँअपने दिल को हर रोज़ हजारों बार किसी और के लिए ना तोडना पड़े,
ऐसी जगह जहाँ कोई अपना ना हो, जो बेगनाओ से भी बेगाने होते है, जहाँ कोई क्या कहेगा ये सवाल मेरे दिल में ना आए, जहाँ एक सकून हो हर पल हर जगह खूबसूरत वातावरण हो, जहाँ काम मेरी मर्ज़ी से हो, जहाँ मेरा जितना दिल करे में तब उठु, जहाँ अगर किसी काम को करने का अगर मन ना हो तो में ना करू, और में ना कहने की हिम्मत कर सकूँ, जहाँ काम मजबूरी से नहीं ख़ुशी से किया जाए,
दिल एक ऐसी जगह जाना चाहता है जहाँ एक नई शुरवात की जा सके, जहाँ जिंदगी को अपने तरीके से जिया जा सके, काश कभी ऐसी जगह जाया जा सके, काश कभी ऐसी सकून भरी जगह जाया जा सके

© नेहा शर्मा